दोस्तों अगर आपने भी अपना ब्लॉग बनाया हुआ है। या फिर आप ब्लॉग बनाकर ब्लॉगिंग करने के इच्छुक है। तो ब्लॉगिंग  के अंतर्गत आपको कैनॉनिकल टैग के बारे में जरूर जानकारी होना चाहिए।  


ब्लॉगिंग करते समय आपने जरूर इसके बारे में सुना होगा। और जिन लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। या फिर जिन लोगों ने इसके बारे में नहीं सुना है।


आज की हमारी पोस्ट  पढ़कर आप लोगों को Canonical tag और इसका सही उपयोग क्यों और कैसे करें के बारे में अच्छे से जानकारी हो जाएगी। साथ ही सर्च इंजन में यह हमारे ब्लॉग के लिए क्यों इतनी जरूरी है। तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।



                       

Canonical tag का सही उपयोग क्यों और कैसे करें?
कैनॉनिकल टैग के बारे




इंटरनेट पर जब हम अपना कंटेंट डालते हैं, कई बार एक ही कंटेंट के अलग-अलग वर्जन होते हैं। जैसे मोबाइल संस्करण, डेस्कटॉप संस्करण, या फिर कंटेंट जो दो अलग पेज पर है लेकिन अधिकार समान है। 

ऐसे में, सर्च इंजन को इसे समझने में मुश्किल होती है । और इनको अलग अलग मानकर कन्फ्यूज्ड हो जाता है। कि किस पेज या संस्करण को इंडेक्स करना है। बस यहां कैनोनिकल टैग का महत्व आता है। चलिए हम इसके बारे आगे जानेंगे।




कैनोनिकल टैग क्या है?


कैनोनिकल टैग एक सरल HTML कोड होता है जो  वेबपेज के <head>सेक्शन में डाला जाता है। इस टैग का मुख्य काम है सर्च इंजन को बताना कि अगर एक कंटेंट के एक से अधिक प्रतियां हैं तो उनमें से कौनसा संस्करण सच्चा या जरूरी है। 

कैनोनिकल टैग, या "rel=canonical", एक खास HTML तत्व है। जिसका उपयोग वेबसाइट मालिक और डेवलपर्स SEO (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) उद्देश्यों के लिए करते हैं। 

यह कोड सर्च इंजन के बोट्स को बताता है कि original url कौन सी है। जिसे उसे इंडेक्स करना है। यह कोड प्राय वेब पेज के head क्षेत्र पर होता है।

इसका मुख्य उपयोग है कंटेंट को डुप्लिकेट सामग्री के मुद्दों से बचना, जो सर्च इंजन रैंकिंग को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

यदि आप कैनोनिकल टैग का इस्तमाल नहीं करते हैं और आपके ब्लॉग में डुप्लिकेट कंटेंट की समस्या है, तो सर्च इंजन खुद यह तय कर लेता है कि कौन सा वर्जन को इंडेक्स करना है। जो हमेशा हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं होता है।



कैनोनिकल टैग का उपयोग क्यों करें?



डुप्लीकेट कंटेंट इश्यू से बचने के लिए: कई बार, बिना जाने आपकी वेबसाइट पर डुप्लीकेट कंटेंट हो जाता है। कैनोनिकल टैग के मध्यम से आप सर्च इंजन को ये निर्देशित कर सकते हैं कि कौन सा पेज मुख्य है।

एसईओ लाभ: सर्च इंजन जब एक ही कंटेंट को अलग-अलग जगह देखते हैं, तो उनको निर्णय लेना होता है कि कौन से संस्करण को रैंक करना है। कैनोनिकल टैग से आप उन्हें गाइड कर सकते हैं, जिससे एसईओ प्रभावित नहीं होता।

ट्रैफ़िक वितरण: आप चाहते होंगे कि आपका ट्रैफ़िक केवल एक ही 'आधिकारिक' संस्करण पर आये। कैनोनिकल टैग इसमें मदद करता है।




कैनोनिकल टैग का सही तरीके से उपयोग कैसे करें?


एक पेज, एक कैनोनिकल: हर पेज पर सिर्फ एक कैनोनिकल टैग होना चाहिए।

पूर्ण यूआरएल : कैनोनिकल टैग में हमेशा पूरा यूआरएल (उदाहरण के लिए https://www.example.com/original-article) का उपयोग करें।

क्रॉस-डोमेन कैनोनिकल: अगर आपका कंटेंट अलग डोमेन पर है, तो भी आप कैनोनिकल टैग का उपयोग कर सकते हैं।

अंत में, कैनोनिकल टैग एक शक्तिशाली टूल है जो एसईओ रणनीति में सहायक होता है । लेकिन ध्यान दे की इसे सही तरीके से उपयोग करें, अन्यथा ये उल्टा असर भी कर सकता है।


Canonical tag कैसे बनाएं



कैनॉनिकल टैग बनाने के लिए आपको इंटरनेट पर बहुत सारी वेबसाइट मिल जाएंगे जो ऑनलाइन आपको कैनॉनिकल टैग बना कर देती है।

आप अपने ब्राउज़र में कैनॉनिकल टैग जेनरेटर लिखकर सर्च करें। आपको जो भी पहला लिंक मिलेगा उस पर आप क्लिक करें।

अब आपके सामने एक विंडो खुलेगी। आपको अपने ब्लॉग का यूआरएल enter करना है। बस अब सबमिट पर क्लिक करते ही आपका कैनॉनिकल टैग बनकर तैयार है।



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ब्लॉग में कैनॉनिकल टैग कैसे ऐड करें।



वर्डप्रेस में --    

यहां आपको seo plugin मैं कैनॉनिकल का विकल्प मिल जाता है। आप यहां आर्टिकल लिखने के बाद अगर जरूरत हो तो url बदल सकते है।  यहां अलग से कैनॉनिकल टैग जोड़ने की जरूरत नहीं होती है।


 ब्लॉगर में --   

 सबसे पहले ब्लॉगर के डैशबोर्ड पर जाएं।

 आप डैशबोर्ड में थीम के ऑप्शन पर जाए।

 अब थीम को एडिट करने से पहले एचटीएमएल कोड की बैकअप   ले। 

  अब एचटीएमएल के head

 क्षेत्र के नीचे आपने जो कैनॉनिकल टैग      बनाया है उसे पेस्ट करें।

अब एचटीएमएल कोड को दाहिनी और दिए 3 डॉट के माध्यम से save करें।

(  ब्लॉगस्पॉट में मैन्युअल रूप से कैनोनिकल टैग ऐड करने की आम स्थिति में जरूरत नहीं होती, क्योंकि ब्लॉगर पहले से ही इसे हैंडल करता है। लेकिन अगर आप विशिष्ट कारणों के लिए मैन्युअल रूप से सेट करना चाहते हैं, तो आपको ध्यान देना चाहिए और सही तरीके से करना चाहिए। )


Canonical tag के फायदे और नुकसान


फ़ायदा :

डुप्लिकेट सामग्री का समाधान : अगर आपकी वेबसाइट पर एक ही सामग्री पर कई यूआरएल उपलब्ध हैं, तो कैनोनिकल टैग का उपयोग करें, 

एसईओ रैंकिंग : कैनोनिकल टैग का सही इस्तेमाल से सर्च इंजन कन्फ्यूजन में नहीं आते कि कौन सा पेज रैंक करना है ।

लिंक जूस मे : समान सामग्री के पृष्ठों कि बैकलिंक्स का "जूस" कैनोनिकल टैग से मुख्य संस्करण को मिल जाता है।


नुक्सान :

गलत कार्यान्वयन : अगर कैनोनिकल टैग गलत तरीके से लागू किया जाए तो ये एसईओ को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

ट्रैफ़िक वितरण : अगर आपके पास एक ही सामग्री के कई संस्करण हैं और आपने कैनोनिकल टैग का उपयोग किया है तो अन्य पेजों की रैंकिंग प्रभावित हो सकती है।


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निष्कर्ष :

कैनोनिकल टैग, जब सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो वे एसईओ के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकते हैं। लेकिन, अगर गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो ये आपकी साइट की सर्च इंजन रैंकिंग को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इसलिए, इन्हें सही तरीके से सोच समझ करलागू करना और नियमित समीक्षा करना चाहिए।


दोस्तों आप लोगों ने आज की पोस्ट मैं Canonical tag के बारे में पढ़ा । उम्मीद करता हूं आप लोगों को इसके उपयोग क्यों और कैसे करें एवं अन्य संबंधित जानकारी हो गई होगी। अगर आप लोगों को आज की पोस्ट अच्छी और जानकारी पूर्ण लगी हो तो। इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया में जरूर शेयर करें। 

 || धन्यवाद ||